जब सितारें टिमटिमाते है रात नशीली सी बन जाती है
नासमझ टूटता हुआ तारा बनके दिल ज़ख्मी कर जाती है
शायद ही तुम्हें पता होगा कि घड़ियों के सुइयों से मुझे नफ़रत सा होने लगा है
जब भी हम मिलते है हमारे दरमियों के बीच दरार बन कर खड़ी हो जाती है
शायद ही तुम्हें पता होगा कि तुम्हारे आने पर मिली सुकून की बारिश में मुझे भीगना अच्छा सा लगने लगा है
तुम्हारे आँखों में झाँकने की कोशिश करता हूँ तो
ऎसा लगता है कि कहीं दुबके मर ना जाऊं
और फिर क्या!
वहीं ..
हर बार की तरह
नज़रे चुराना पड़ता है
नज़रे झुकाना पड़ता है , क्योंकि
अगर मैंने खुदको तुम्हारे झील सी आँखो में खो दिया तो वापसी किनारे पर लाएगा कौन?
क्या बताऊँ तुम्हें!
क्या बताऊँ!!
अनकहि बातों में मेरे अनसुनी तेज़ साँसे
और आज हर साँस में शामिल तुम्हारे अधूरे एहसासें
शायद ही तुम्हें पता होगा
शायद ही तुम्हें पता होता
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Modificato il: 10 mag 2021
मेरे पन्ने अभी भी खाली सी है........
मेरे पन्ने अभी भी खाली सी है........
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Loved it. ❤️
Beautifully penned . Keep it up 👍
Wow, Damitri! Beautifully penned.